• Raja Ranjan
    Raja Ranjan
Raja Ranjan logo
    • Change PhotoChange photo
    • Create A Unique Profile PhotoCreate A Unique Profile Photo
  • Delete photo

Raja Ranjan

Analyst
  • 16 Followers

  • 3 Following

  • परमाणु की मृदा से स्क्विरल को कोई हानि होती है? - परमाणु की मृदा: स्क्विरल के लिए वरदान या अभिशाप?परमाणु की मृदा से स्क्विरल को कोई हानि होती है? - परमाणु की मृदा: स्क्विरल के लिए वरदान या अभिशाप?

    परमाणु की मृदा से स्क्विरल को कोई हानि होती है? - परमाणु की मृदा: स्क्विरल के लिए वरदान या अभिशाप?

    अर्कटिक गर्म हो रहा है और इसके कारण अर्कटिक ग्राउंड स्क्विरल का हाइबरनेशन प्रक्रिया में बदलाव आ रहा है। ये स्क्विरल हाइबरनेशन के दौरान अपने शरीर को जमने से बचाने के लिए अपनी मोटापे से गर्मी पैदा करते हैं। परंतु, परमाणु की मृदा में जमने में देरी होने से, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। साथ ही, पिछले 25 सालों में, महिला स्क्विरल हाइबरनेशन समाप्त करके पहले निकलती हैं, पुरुष स्क्विरल की तुलना में। यह इसलिए होता है क्योंकि महिला स्क्विरल को अपने बच्चों का ख्याल रखना होता है, जबकि पुरुष स्क्विरल को नहीं। इससे महिला स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान कम मोटापा खर्च करना पड़ता है, और वे जल्दी ही भोजन की तलाश में निकलती हैं। यह प्रक्रिया में बदलाव, पर्यावरण के साथ-साथ, स्क्विरल के प्रजनन, सेहत, और प्रतिस्पर्धी क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है। हाइबरनेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ प्राणियों का शरीर और मन गहरी नींद में चला जाता है। हाइबरनेशन में प्राणियों का शरीर तापमान, सांस, और हृदय गति कम हो जाती है। हाइबरनेशन से प्राणियों को सर्दी से बचाव मिलता है, और उन्हें खाने की कमी के मौसम में भोजन की कम आवश्यकता होती है। हाइबरनेशन मुख्यत: सर्दी के महीनों में होता है। हाइबरनेशन के लिए प्राणियों को पहले से ही पर्याप्त ऊर्जा संचित करना पड़ता है, जो उनके निष्क्रिय अवधि के दौरान काम आती है। कुछ प्राणियों को हाइबरनेशन के दौरान अपने बच्चों को जन्म देना होता है, जो वे हाइबरनेशन के बाद या उससे पहले करते हैं। यह इस तरह समझाया जा सकता है कि जब परमाणु की मृदा जल्दी जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए अपने मोटापे से गर्मी पैदा करना पड़ता है। लेकिन, जब परमाणु की मृदा देर से जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। उदाहरण के लिए, मानिए कि स्क्विरल को हाइबरनेशन में 1000 कैलोरी की ज़रुरत है। अगर परमाणु की मृदा 10 सितंबर को ही जम जाए, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। लेकिन, अगर परमाणु की मृदा 20 सितंबर को जमे, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से 20 सितंबर तक केवल 500 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा, और 20 सितंबर के बाद ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। इससे स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान अपने मोटापे को अधिक समय तक बचा सकता है, और वह जल्दी ही भोजन की तलाश में नहीं निकलना पड़ता है। परमाणु की मृदा वह मृदा है जिसमें परमाणु अथवा अणु विखंडन होता है। परमाणु अथवा अणु विखंडन से उत्पन्न ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। परमाणु की मृदा को अंग्रेजी में परमाणु की मृदा (nuclear soil) कहते हैं। परमाणु की मृदा में परमाणु विखंडन के कारण, उसका तापमान बहुत ऊंचा होता है। इसलिए, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान परमाणु की मृदा से गर्मी मिलती है, और उन्हें अपने मोटापे से ज़्यादा गर्मी पैदा करने की ज़रुरत नहीं होती है। परमाणु की मृदा का उदाहरण है परमाणु भट्टी, जिसमें भारी धातु (पारा, प्लुटेनियम आदि) के टुकड़े रख देने के बाद, वे रेडियो सक्रिय हो जाते हैं, और परमाणु विखंडन होता है। परमाणु भट्टी से परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जो कि विद्युत, गर्मी, और अन्य कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • लोहे की किलेबंदी: फायदे, नुकसान और सावधानियांलोहे की किलेबंदी: फायदे, नुकसान और सावधानियां

    लोहे की किलेबंदी: फायदे, नुकसान और सावधानियां

    लोहे की किलेबंदी (iron fortification) का मतलब है खाद्य पदार्थों में लोहा या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों को जोड़ना, ताकि इनकी कमी से होने वाले रोगों से बचा जा सके। इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और कुपोषण की समस्या का समाधान होता है। उदाहरण के लिए, नमक में आयोडीन, आटे में फोलिक एसिड, दूध में विटामिन A और D, चावल में विटामिन B12 आदि को मिलाना। लोहे की किलेबंदी से हमें कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जैसे कि: • ऊर्जात्मक बनाए रखता है - आयरन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने और ऊर्जा बनाने का काम करता है। इससे थकान, कमजोरी और चिड़चिड़ापन कम होता है। • भूख में सुधार करता है - आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन करने से भूख में वृद्धि होती है और शारीरिक विकास में सहायता मिलती है। • एनीमिया से बचाता है - आयरन हीमोग्लोबिन प्रोटीन का हिस्सा होता है, जो रक्त में पाया जाता है। हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया होता है, जिसमें रक्त में ऑक्सीजन की कमी होती है। इससे चमड़ी, नाखून और आँखों का रंग पीला पड़ जाता है। आयरन के सेवन से एनीमिया को रोका जा सकता है। • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है - आयरन प्रतिरक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण घटकों में से एक है, जो संक्रामक रोगों से लड़ने में मदद करता है। आयरन की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है - आयरन मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, जो स्मरण, सीखने, संवेदनात्मकता, मनोरंजन, मूड, और सुस्ताने में भूमिका निभाते हैं। आयरन की कमी से इन कार्यों में बाधा आती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। आयरन के सेवन से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। लोहे की किलेबंदी करने के लिए FSSAI ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (फोर्टिफिकेशन ऑफ फूड्स) रेगुलेशन्स, 2018 में कुछ मानक निर्धारित किए हैं। इनमें से कुछ हैं: • गेहूं, मक्का और चावल के आटे में लोहा का स्तर 14.0-21.5 मिलीग्राम/किलोग्राम होना चाहिए। • दूध में लोहा का स्तर 0.5-1.0 मिलीग्राम/लीटर होना चाहिए। • नमक में लोहा का स्तर 850-1100 पीपीएम होना चाहिए। • तेल में लोहा का स्तर 0.5-1.0 मिलीग्राम/किलोग्राम होना चाहिए।लोहे की किलेबंदी के अलावा और कौन-कौन से तरीके हैं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के? इसका जवाब है: • पूरकता - इसमें आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के सप्लीमेंट्स का सेवन किया जाता है। यह मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और 6-59 महीने के बच्चों के लिए प्रभावी होता है। • डायटरी डायवर्सिटी - इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है, जैसे कि फल, सब्जियां, जानवरों के उत्पाद, अंकुरित अनाज और दालें। यह एक स्थायी और स्वाभाविक तरीका है सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने का। • होम गार्डनिंग - इसमें स्थानीय स्तर पर सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध पौधों की खेती की जाती है, जैसे कि मोरिंगा, पालक, मेथी, गाजर, आलू, मटर, चुकंदर, आदि। यह सस्ता, सुलभ और समुचित पोषण प्रदान करने का एक प्रभावी माध्यम है। लोहे की किलेबंदी से होने वाले कुछ संभावित दुष्प्रभाव हैं: • पेट और आंतों की समस्याएं - लोहे का सेवन पेट में जलन, उल्टी, दस्त, कब्ज, पेट में दर्द, सूजन और अल्सर का कारण बन सकता है। • लिवर और हृदय की हानि - लोहे का अत्यधिक सेवन लिवर में सूजन, सिरोसिस, हृदय में सूजन, हृदय घात, हाइपोटेंशन, मृत्यु का कारण बन सकता है। • संक्रमण - लोहे का अत्यधिक सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और विभिन्न संक्रमणों के लिए अधिक संवेदनशील बना सकता है। • अन्य दुष्प्रभाव - लोहे का सेवन चक्कर, सिर दर्द, थकान, जलन, खुजली, त्वचा में पीलापन, आंखों में पीलापन, मुंह में सूखापन, मसूड़ों में सूजन, दांतों में कालापन, गुर्दे की पथरी, गुर्दे की कमी, मस्तिष्क की हानि, अस्थमा, संधि शोथ, रक्त में ग्लूकोज का स्तर कम होना, हॉर्मोनल असंतुलन, मूत्र में रक्त होना, प्रतिक्रियाशील प्रतिक्रियाएं, कोमा आदि का कारण बन सकते हैं।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • जर्मनी के वैज्ञानिकों ने कुनो में परिवेशित चीतों की आलोचना की, कहा- यह विज्ञान पर आधारित नहीं हैजर्मनी के वैज्ञानिकों ने कुनो में परिवेशित चीतों की आलोचना की, कहा- यह विज्ञान पर आधारित नहीं है

    जर्मनी के वैज्ञानिकों ने कुनो में परिवेशित चीतों की आलोचना की, कहा- यह विज्ञान पर आधारित नहीं है

    कुनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते को लेकर हाल ही में जर्मनी के तीन वैज्ञानिकों का क्या कहना है? कुनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से 12 और नामीबिया से 8 चीते पिछले साल सितंबर 2022 और इस साल फरवरी 2023 में परिवेशित किए गए हैं। लाइबनिज प्राणि और वन्यजीव अनुसंधान संस्थान के बर्लिन, जर्मनी के तीन वैज्ञानिकों ने इस परिवेशन योजना में कुछ गंभीर कमियां बताई हैं। उन्होंने Conservation Science and Practice पत्रिका में एक लेख में लिखा है कि चीते को 750 वर्ग किमी के बाड़ाहीन क्षेत्र में परिवेशित किया गया है, जो गांवों से घिरा हुआ है, जहां पशुपालक हैं। उन्होंने कहा है कि चीते का सामाजिक-स्थानिक संगठन ऐसा है कि पुरुष चीते क्षेत्र में 20-23 किमी की दूरी पर रहते हैं, और महिला चीते और मंडली वाले पुरुष चीते क्षेत्रों के बीच के बड़े क्षेत्रों में रहते हैं। उन्होंने पूर्वानुमान लगाया है कि नामीबिया से आए तीन पुरुष चीते कुनो में तीन क्षेत्र बनाएंगे, जो 20-23 किमी की दूरी पर होंगे। इसका मतलब है कि दक्षिण अफ्रीका से आए सात पुरुष चीते कुनो के बाहर बसने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा है कि यह परिवेशन योजना सर्वोत्तम विज्ञान पर आधारित नहीं है, और इससे चीता संरक्षण का लाभ नहीं होगा। जर्मनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि चीते को एक छोटे से जंगल में रखना उचित नहीं है, क्योंकि वे बहुत बड़े क्षेत्र में घूमना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा है कि पुरुष चीते अपना अलग-अलग इलाका बनाते हैं, और उनके बीच में कम से कम 20-23 किमी की दूरी होती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि A, B और C नामीबिया से आए तीन पुरुष चीते हैं, और D, E, F और G दक्षिण अफ्रीका से आए सात पुरुष चीते हैं। A, B और C कुनो में तीन क्षेत्र (X, Y, Z) बनाएंगे, जो 20-23 किमी की दूरी पर होंगे। D, E, F और G को कुनो के बाहर जाना होगा, क्योंकि कुनो में उनके लिए क्षेत्र की जगह नहीं है। यह चीते के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि वे गांवों, सड़कों, और अन्य शिकारियों से टकरा सकते हैं।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • क्लीन एनर्जी: निवेश करने के लिए सबसे बढ़िया मौका, विश्वभर में रिटर्न और स्वास्थ्य में बदलावक्लीन एनर्जी: निवेश करने के लिए सबसे बढ़िया मौका, विश्वभर में रिटर्न और स्वास्थ्य में बदलाव

    क्लीन एनर्जी: निवेश करने के लिए सबसे बढ़िया मौका, विश्वभर में रिटर्न और स्वास्थ्य में बदलाव

    आज की तारीख में हम क्लीन एनर्जी में फॉसिल ईंधन ऊर्जा की तुलना में ज्यादा निवेश कर रहे हैं। इसका एक कारण यह है कि क्लीन एनर्जी से हम क्लाइमेट चेंज, हवा प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं को कम कर सकते हैं। फॉसिल ईंधन से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस और हवा प्रदूषण ने 2018 में $2.9 ट्रिलियन का स्वास्थ्य और आर्थिक नुकसान किया था। क्लीन एनर्जी से हम फॉसिल ईंधन के ऐसे नुकसान से बच सकते हैं। क्लीन एनर्जी का एक और फायदा यह है कि यह सस्ता और उपलब्ध है। सोलर और विंड एनर्जी के दाम फॉसिल ईंधन से कम हो गए हैं। इंडिया में भी सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग बढ़ रहा है। इंडिया ने सीओपी 21- पेरिस समिट पर दिए गए अपने वादे को पूरा कर लिया है और अब 40% अपनी पावर क्षमता को नॉन-फॉसिल ईंधन से प्राप्त कर रहा है। इंडिया ने यह भी घोषणा की है कि 2070 तक नेट जीरो एमिशन और 2030 तक 50% अपनी इलेक्ट्रिसिटी आवश्यकताओं को रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों से पूरा करेगा। क्लीन एनर्जी के लिए ज्यादा इन्वेस्ट करना न सिर्फ इंडिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए फायदेमंद है। लेकिन इसके लिए हमें नए निवेशकों, नीतियों और तकनीकों की ज़रूरत है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के अनुसार, क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट को 2030 तक $4 ट्रिलियन तक पहुंचाना होगा अगर हम नेट जीरो एमिशन्स बाय 2050 स्केनेरियो को पूरा करना चाहते हैं। • वैश्विक ऊर्जा निवेश 2022 में 8% बढ़कर USD 2.4 ट्रिलियन तक पहुंचेगा।• क्लीन एनर्जी निवेश 2022 में USD 2 ट्रिलियन से ऊपर हो जाएगा।• फॉसिल ईंधन निवेश 2022 में 2019 के स्तर से नीचे ही रहेगा।• तेल और गैस उत्पादकों का नेट आय 2022 में USD 4 ट्रिलियन तक पहुंचेगा। • विश्व ऊर्जा बिल 2022 में पहली बार USD 10 ट्रिलियन से ऊपर हो जाएगा।• फॉसिल ईंधन अभी भी वैश्विक ऊर्जा उत्पादन का 80% से ज़्यादा हिस्सा है, लेकिन क्लीन एनर्जी स्रोतों का उपयोग बढ़ रहा है।• रिन्यूएबल एनर्जी निवेश हर डॉलर पर फॉसिल ईंधन उद्योग से तीन गुना ज़्यादा नौकरियां बनाता है।• जर्मनी और फ्रांस में रिन्यूएबल एनर्जी निवेश ने पांच वर्षीय अवधि में 178.2% रिटर्न दिए, जबकि फॉसिल ईंधन निवेश ने -20.7% रिटर्न दिए।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • सटीक सटीक

    सटीक

    क्या आईटी कंपनियाँ कैंपस हायरिंग में 40% कट करने वाली हैं? इसके बारे में कुछ रिपोर्ट्स आई हैं कि आईटी फर्म्स ने अपने बेंच स्ट्रेंथ को बढ़ाया है और क्लाइंट आर्डर्स कम हो गए हैं। इसलिए उन्होंने 2024 बैच के इंजीनियरिंग कैंपस से 40% कम फ्रेशर्स हायर करने का प्लान बनाया है। यह रिसेशनरी फेज कब ख़त्म होगा इसका भी कोई स्पष्ट नज़र नहीं है। इसलिए आईटी कंपनियों ने कैंपस हायरिंग में कट करने का फ़ैसला लिया है। क्या UPI की चलन के बढ़ने से भारत में लोग ATM का कम इस्तेमाल कर रहे हैं? इसका उत्तर है कि हां, UPI की वजह से ATM का इस्तेमाल कम हुआ है। UPI (Unified Payment Interface) एक तत्काल भुगतान प्रणाली है, जो एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में पैसे भेजने या मांगने की सुविधा प्रदान करती है। UPI का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति 1 लाख रुपये तक की Transactions के लिए कर सकता है। UPI की सबसे अच्छी बात है कि इसके माध्यम से पैसा Direct Bank to Bank Transfer होता है। UPI की प्रभावशालीता को NPCI (National Payments Corporation of India) के UPI Transaction Data से समझा जा सकता है। NPCI के मुताबिक, 2021 में November महीने में UPI पर 4.16 Billion Transactions हुए, 2020 में November महीने में 2.21 Billion Transactions हुए। ATM (Automated Teller Machine) का प्रयोग प्रमुखत: Cash Withdrawal, Balance Enquiry, Mini Statement, Fund Transfer, Bill Payment, Mobile Recharge, Cardless Cash Withdrawal, Cheque Book Request, PIN Change, Aadhaar Seeding, etc. करने के लिए होता है। UPI की प्रभावशालीता से ATM Transactions पर प्रतिक्रिया मिली है। RBI (Reserve Bank of India) के ATM Transaction Data से पता चलता है कि 2021 में November महीने में ATM Transactions 64.6 Crore (646 Million) हुए, 2020 में November महीने में ATM Transactions 66.8 Crore (668 Million) हुए। ATM Transactions में UPI Transactions से Comparison में Decline हुआ है ATM Transactions में Decline के कुछ Reasons हो सकते हैं: • UPI Transactions में Convenience, Speed, Security, Cost-Effectiveness, etc. का Advantage • UPI Transactions में Cashless Economy, Digital Literacy, Financial Inclusion, etc. को Promote • UPI Transactions में COVID-19 Pandemic, Social Distancing, Hygiene, etc. को Consider • ATM Transactions में Cash Availability, Machine Malfunctioning, Fraudulent Activities, etc. का Risk • ATM Transactions में Transaction Charges, Withdrawal Limits, Location Constraints, etc. का Limitation तो, UPI ID (Virtual Payment Address) से ATM Card Number (Debit/Credit Card Number) तक Digital Payment Landscape में Transformation हुआ है। भारत सरकार ने डीजल से चलने वाली फोर व्हीलर को 2027 तक बंद करने की बात कही है। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल ने सरकार को 2027 तक भारत में डीजल गाड़ियों को बंद करने का सुझाव दिया है। पैनल का कहना है कि प्रदुषण को कम करने, कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य को प्राप्त करने, पेट्रोलियम की मांग को कम करने, इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए, 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाली 4-व्हीलर पर रोक लगा देना चाहिए। सरकार ने पहले ही 2070 से पहले कार्बन-न्यूट्रल होने का लक्ष्य प्रस्तुत किया है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • गर्मी के मौसम में शुगर की खपत और स्वास्थ्य: आवश्यक जानकारी और सावधानियाँगर्मी के मौसम में शुगर की खपत और स्वास्थ्य: आवश्यक जानकारी और सावधानियाँ

    गर्मी के मौसम में शुगर की खपत और स्वास्थ्य: आवश्यक जानकारी और सावधानियाँ

    भारत में गर्मी के मौसम में शुगर की खपत क्यों बढ़ जाती है और एक दिन में हमें कितना शुगर गर्मी के दिनों में लेना चाहिए, इसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से है। गर्मी के मौसम में हमारा पसीना ज्यादा निकलता है, जिससे हमारे शरीर का पानी कम होता है। पानी कम होने से हमारा रक्त-चाप (blood pressure) बढ़ सकता है, जो कि मधुमेह (diabetes) के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए, गर्मी के मौसम में हमें पानी का सेवन अधिक करना चाहिए, ताकि हमारा शरीर हाइड्रेटेड (hydrated) रहे। पानी के अलावा, हमें नींबू पानी, नारियल पानी, दही और छाछ जैसे पेय पदार्थों का भी सेवन करना चाहिए, क्योंकि ये हमारे शरीर में ठंडक पहुंचाते हैं, और हमें लू (heat stroke) से बचाते हैं। गर्मी के मौसम में हमें शुगर की मात्रा को कम से कम रखना चाहिए, क्योंकि शुगर हमारे शरीर में कैलोरी (calories) का स्रोत होता है, जो हमें मोटा करता है। मोटापा मधुमेह का प्रमुख कारण है, इसलिए हमें अपने वजन को संतुलित (balanced) रखना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में 25-30 ग्राम (4-6 चम्मच) से ज्यादा शुगर (sugar) का सेवन नहीं करना चाहिए। मधुमेह के मरीजों को तो इससे भी कम शुगर लेना चाहिए, और अपने डॉक्टर की सलाह से ही शुगर की मात्रा निर्धारित करना चाहिए।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • भारत में दो पहिया वाहनों की बिक्री में उतार-चढ़ाव: GST, पर्यावरण और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रभावभारत में दो पहिया वाहनों की बिक्री में उतार-चढ़ाव: GST, पर्यावरण और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रभाव

    भारत में दो पहिया वाहनों की बिक्री में उतार-चढ़ाव: GST, पर्यावरण और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रभाव

    वित्तीय वर्ष 2022 में, भारत में दो पहिया विक्रेता की संख्या पिछले सालों की तुलना में 13.47 मिलियन यूनिट्स से कम हो गई। 2019 में, भारत की ऑटो उद्योग ने करीब 21 मिलियन यूनिट्स बेचे थे, जो 2011 की संख्या 11.77 मिलियन से लगभग दोगुना है। 2022-23 में, दो पहिया उद्योग में लगातार तीन सालों के पतन के बाद साल-दर-साल दो अंकों की वृद्धि हुई। इसने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 15.86 मिलियन यूनिट्स का उत्पादन किया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 13.57 मिलियन से 17% अधिक है। हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी 9 साल का सबसे कम स्तर है, जबकि 2014-15 में यह 16 मिलियन यूनिट्स पर था। विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुनरुत्थान के संकेत अभी तक नहीं मिले हैं और इसने किसी भी प्रकार की मोटर-वाहन मांग में वृद्धि को प्रेरित नहीं किया है। इस बुरे प्रदर्शन के पीछे कई कारण हो सकते हैं। • कोविड-19 की वजह से आर्थिक मंदी, सीमित मोबिलिटी और उच्च वाहन और ईंधन लागत। • ग्रामीण मांग में कमी, जिसका प्रभाव प्राथमिकता वाले 125cc से कम क्षमता वाले मॉडलों पर पड़ा। • प्रवेश स्तर के खंडों में पिछले तीन सालों में 50% की कीमतों में बढ़ोतरी, जिससे उद्योग के भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। • इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में बढ़ोतरी, जो पारंपरिक दो पहिया वालों के लिए प्रमुख बाजार हैं। • सेमीकंडक्टर की कमी और उच्च कंटेनर शुल्क, जिससे OEMs के उत्पादन स्तर पर प्रभाव पड़ा। भारत में स्कूटर और मोटरसाइकिल की बिक्री में कई उतार-चढ़ाव हुए हैं। 2021-22 में, स्कूटर की बिक्री में 72.50% की वृद्धि हुई, जबकि मोटरसाइकिल की बिक्री में 27.07% की वृद्धि हुई। हालांकि, 2022-23 में, मोटरसाइकिल की बिक्री में 17% की वृद्धि हुई, जबकि स्कूटर की बिक्री में 108.14% की वृद्धि हुई। मोटरसाइकिल की बिक्री स्कूटर की बिक्री से अधिक हुई है, क्योंकि मोटरसाइकिल 69% का बाजार हिस्सा रखते हैं, जबकि स्कूटर 31% का। इसके पीछे कुछ कारण हैं, जैसे कि: • मोटरसाइकिल ग्रामीण बाजारों और टियर-II और टियर-III शहरों में अधिक मांग का सामना करते हैं, जहां सड़कों की स्थिति बेहतर नहीं होती है। • मोटरसाइकिल की कीमतें स्कूटर की कीमतों से कम होती हैं, जिससे उन्हें बजट-सचेत ग्राहकों के लिए प्राथमिकता मिलती है। • मोटरसाइकिल का ईंधन प्रभावकारिता स्कूटर से बेहतर होता है, जिससे उन्हें उच्च ईंधन कीमतों का प्रभाव कम पड़ता है। दो पहिया वाहनों पर GST की कटौती से उनकी कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे उन्हें अधिक सस्ते और सुलभ बनाया जा सकता है। इससे दो पहिया वाहनों की मांग में वृद्धि हो सकती है, जिससे उद्योग को प्रोत्साहन मिल सकता है। हालांकि, GST की कमी से सरकार को कर आय में कमी हो सकती है, जिससे अन्य क्षेत्रों में निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। GST की कमी से पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि अधिक दो पहिया वाहनों का मतलब है अधिक प्रदूषण और ईंधन की खपत। इसलिए, GST की कमी का प्रभाव अलग-अलग पहलुओं पर निर्भर करेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का दो पहिया वाहनों की बिक्री पर प्रभाव अभी तक सीमित है, लेकिन भविष्य में यह बढ़ सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में 2022-23 में 28% की वृद्धि हुई, जिसमें से 65% का हिस्सा इलेक्ट्रिक दो पहिया वालों का था। 2023 में, इलेक्ट्रिक दो पहिया वालों की बिक्री 8.46 लाख यूनिट्स हुई, जो पिछले साल के 3.27 लाख से 2.5 गुना अधिक है। 2030 तक, इलेक्ट्रिक 2W मार्केट कुल 2W मार्केट का 80% से अधिक होने की संभावना है, और 22 मिलियन यूनिट्स की मात्रा पहुंच सकती है। इलेक्ट्रिक वाहनों का दो पहिया वाहनों की बिक्री पर प्रभाव इसलिए हो सकता है, क्योंकि: • इलेक्ट्रिक वाहनों का चालन सस्ता होता है, जिससे उन्हें पर्यावरण-सचेत और बजट-सचेत ग्राहकों के लिए प्राथमिकता मिलती है। • इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रदूषण कम होता है, जिससे उन्हें सरकारी समर्थन, सब्सिडी और प्रोत्साहन मिलते हैं। • इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रौद्योगिकी में सुधार हुए हैं, जिससे उनकी प्रदर्शन, सुरक्षा, सुविधा और आकर्षण में सुधार हुआ है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • आन्दोलनों से निकले चर्चे: फिल्मी महोत्सवों में इतिहास रचने वाले घटनाओं की संक्षेप में कहानीआन्दोलनों से निकले चर्चे: फिल्मी महोत्सवों में इतिहास रचने वाले घटनाओं की संक्षेप में कहानी

    आन्दोलनों से निकले चर्चे: फिल्मी महोत्सवों में इतिहास रचने वाले घटनाओं की संक्षेप में कहानी

    The New Wave Shutdown एक फिल्मी आन्दोलन था, जिसमें निर्देशकों ने सिनेमा के प्रति अपने दृष्टिकोण को क्रांतिकारी रूप से परिवर्तित किया। इसका प्रभाव विश्व के कई देशों में देखा गया, जहां 1968 को राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हलचल का साल माना गया। 1975 cameras shutter down एक घटना थी, जिसमें कैनेस फिल्म महोत्सव में अमेरिकी अभिनेता पॉल न्यूमन को फोटोग्राफर्स ने नजरअंदाज कर दिया था।  पॉल न्यूमन ने महोत्सव में पहुंचते ही फोटोग्राफर्स के साथ पोज करने से मना कर दिया था, जिससे वे नाराज हो गए।  जब पॉल न्यूमन शाम को पैलेस की सीढ़ियों पर चढ़े, तो फोटोग्राफर्स ने अपने कैमरे बंद करके साइलेंट प्रोटेस्ट किया।  पॉल न्यूमन को माफी मांगनी पड़ी, और अगले दिन से सब सामान्य हो गया।  1991 rocking the dress code board एक घटना थी, जिसमें कैनेस फिल्म महोत्सव में पॉप आइकन मडोना ने महोत्सव के आधिकारिक ड्रेस कोड को तोड़ा था।  मडोना ने एक लंबी गुलाबी साटन की क्लोक पहनी थी, जिसे वह पैलेस की सीढ़ियों पर उतार कर फ़ेंक दी।  उसके नीचे, उसने Jean Paul Gautier (जीन-पॉल-गौतियर) के डिजाइन किए हुए 40s-प्रेरित दो-टुकड़े का बस्टियर (bustier) पहना हुआ था, जो कि महोत्सव के मानकों से काफी हटकर था।  मडोना का यह प्रदर्शन काफी सुर्खियाँ बनाया, और कुछ समीक्षकों को पसंद भी आया।  2015 और उसके बाद के फैशन पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन एक आन्दोलन था, जिसमें कैनेस फिल्म महोत्सव में महिलाओं को फ्लैट जूते पहनने से रोका गया था।  महोत्सव के आयोजकों ने महिलाओं से मांग की थी कि वे हील्स पहनें, जो कि कुछ महिलाओं को असुविधा पहुंचाती है। इसके खिलाफ, कुछ प्रसिद्ध हस्तियों ने समर्थन जताया। 2022 stop the war Heal the world एक गाना है, जिसे Michael Jackson (माइकल-जैक्सन) के नाम से जाना जाता है। यह गाना 1991 में रिलीज हुआ था, लेकिन 2022 में फिर से प्रसिद्ध हुआ, जब कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में संकट की स्थिति हुई। यह गाना शांति, प्रेम और समझौते का संदेश देता है, और लोगों को एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करता है। यह गाना Michael Jackson की सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली रचनाओं में से एक माना जाता है, और 2022 में Grammy Award (ग्रैमी-अवॉर्ड) के लिए नामांकित हुआ।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • भारत का पहला अंतरिक्ष दूरबीन: एक्सपोसेट मिशन - अंतरिक्ष में एक्स-रे किरणों की पोलराइजेशन का अध्ययनभारत का पहला अंतरिक्ष दूरबीन: एक्सपोसेट मिशन - अंतरिक्ष में एक्स-रे किरणों की पोलराइजेशन का अध्ययन

    भारत का पहला अंतरिक्ष दूरबीन: एक्सपोसेट मिशन - अंतरिक्ष में एक्स-रे किरणों की पोलराइजेशन का अध्ययन

    ये एक्सपोसेट मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष दूरबीन है जो विश्व के सबसे उज्ज्वल एक्स-रे स्रोत की पोलराइजेशन का अध्ययन करेगा। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में एक्स-रे किरणों के उत्पादन और प्रसारण के बारे में अधिक जानने का है। इसका महत्व आम लोगों के लिए ये है कि ये हमें अंतरिक्ष के विभिन्न तत्वों और गतिविधियों के बारे में नए ज्ञान और समझ प्रदान करेगा। ये मिशन 2023 में पीएसएलवी द्वारा पृथ्वी के निम्न कक्ष कक्ष में भेजा जायेगा और कम से कम पांच साल तक चलेगा। इसमें दो मुख्य उपकरण होंगे - पोलारीमीटर इंस्ट्रुमेंट इन एक्स-रे (पॉलिक्स) और एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग (एक्स्पेक्ट)। पॉलिक्स रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया गया है और ये 8-30 केवी शक्ति सीमा में एक्स-रे स्रोत की पोलराइजेशन का मापन करेगा। एक्स्पेक्ट इसरो द्वारा विकसित किया गया है और ये 1-15 केवी शक्ति सीमा में एक्स-रे स्रोत का विश्लेषण और समय निरूपण करेगा। ये मिशन एक तरह का दूरबीन है जो पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में घूमेगा और वहाँ से आने वाली एक्स-रे किरणों को पकड़ेगा। एक्स-रे किरणें वह होती हैं जो हमारी आँखों से नहीं दिखती हैं, परन्तु कुछ विशेष प्रकार के कैमरे से पकड़ी जा सकती हैं। ये किरणें हमें अंतरिक्ष के कुछ सबसे गर्म, चमकीले और रहस्यमय स्रोतों के बारे में बताती हैं, जैसे कि पल्सर, काले छिद्र, सक्रिय सितारों का केंद्र, आदि। ये मिशन सिर्फ एक्स-रे किरणों को पकड़ने ही नहीं, बल्कि उनकी पोलराइजेशन (प्रकाश-प्रसार) का मापन (पोलारीमेट्री) करेगा। पोलराइजेशन मतलब होता है कि किसी प्रकाश किरण का हिलना (vibration) कौन सी समतल (plane) में होता है? पोलारीमेट्री से हमें पता चलता है कि प्रकाश का स्रोत कैसा है? उसका आकार, संरचना, प्रभाव आदि। उदाहरण के लिए, अगर हम किसी सितारे से आने वाली पोलाराइज्ड प्रकाश किरण को देखें, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उस सितारे के चारों ओर एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है। ये मिशन एक्स-रे की पोलराइजेशन को मापने के लिए दो उपकरणों का प्रयोग करेगा: पॉलिक्स और एक्स्पेक्ट। पॉलिक्स उच्च ऊर्जा (8-30 केवी) वाली एक्स-रे की पोलराइजेशन का मापन करेगा, जबकि एक्स्पेक्ट कम ऊर्जा (1-15 केवी) वाली एक्स-रे की पोलराइजेशन का मापन करेगा। दोनों ही उपकरण एक्स-रे की तीव्रता (intensity) और समय (timing) का मापन (measurement) करेंगे। ये मापन हमें समझने में मदद करेंगे कि अंतरिक्ष में एक्स-रे को पैदा (produce) और प्रसारित (scatter) करने वाले भौतिक प्रक्रिया (physical processes) और हालात (conditions) कैसे होते हैं। ये मिशन भारत और पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होगा, क्योंकि यह हमें ब्रह्मांड और उसके रहस्यों के बारे में नए संकेत और ज़्ञान प्रदान करेगा।  यह हमारी स्थिति  और प्रतिष्ठा  को  सुधारेगा  अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड इम्प्लांट के माध्यम से परालाइज हुए व्यक्ति को चलने की क्षमता मिल सकती है: एक आर्टिफिशियल कम्युनिकेशन लिंक की खोजब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड इम्प्लांट के माध्यम से परालाइज हुए व्यक्ति को चलने की क्षमता मिल सकती है: एक आर्टिफिशियल कम्युनिकेशन लिंक की खोज

    ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड इम्प्लांट के माध्यम से परालाइज हुए व्यक्ति को चलने की क्षमता मिल सकती है: एक आर्टिफिशियल कम्युनिकेशन लिंक की खोज

    परालाइज होने का मतलब यह है कि मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बीच का संपर्क टूट जाता है, जिससे पैरों को मस्तिष्क के हुकुम मिलना बंद हो जाता है। लेकिन brain implant और spinal cord implant के माध्यम से, इस संपर्क को पुनर्स्थापित किया जा सकता है, जिससे पैरों को मस्तिष्क के संकेत मिलते हैं, और पैरों की मांसपेशियों को electrical pulses मिलते हैं, जो पैरों को हलन-चलन करने में मदद करते हैं। इस प्रकार, परालाइज हुए आदमी को brain implant और spinal cord implant की सहायता से चलने की क्षमता मिल सकती है, जो कि एक प्रकार का artificial communication link है, जो natural communication link की कमी को पूरा करता है। brain implant और spinal cord implant दोनों ही साथ-साथ सक्रिय होते हैं, लेकिन brain implant को पहले लगाया जाता है, क्योंकि वह मस्तिष्क के संकेतों को पकड़ता है, और उन्हें spinal cord implant को भेजता है। brain implant को मस्तिष्क के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है, जहां मस्तिष्क हलन-चलन को नियंत्रित करता है। spinal cord implant को रीढ़ की हड्डी के नीचे वाले हिस्से में लगाया जाता है, जहां पैरों की मांसपेशियों के साथ संपर्क होता है। brain implant और spinal cord implant के माध्यम से, मस्तिष्क और पैरों के बीच में एक wireless connection बनता है, जो परालाइज हुए हिस्से को bypass करता है। आप कह सकते हैं कि यह एक प्रकार का artificial intelligence ही है, क्योंकि इसमें artificial neural networks का उपयोग किया जाता है, जो मस्तिष्क के संकेतों को पढ़ते हैं, और उन्हें spinal cord implant को भेजते हैं। artificial neural networks वे मैथमेटिकल मॉडल्स हैं, जो मस्तिष्क की तरह ही सीखते हैं, और पैटर्न्स को पहचानते हैं। इनकी मदद से, brain implant और spinal cord implant को समन्वयित किया जाता है, और परालाइज हुए व्यक्ति को प्राकृतिक रूप से चलने में मदद मिलती है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • डांसिंग गर्ल: इंडस घाटी सभ्यता की सुंदर मूर्ति जो कलात्मक महत्व रखती है।डांसिंग गर्ल: इंडस घाटी सभ्यता की सुंदर मूर्ति जो कलात्मक महत्व रखती है।

    डांसिंग गर्ल: इंडस घाटी सभ्यता की सुंदर मूर्ति जो कलात्मक महत्व रखती है।

    इंडस घाटी सभ्यता में डांसिंग गर्ल एक बहुत ही खूबसूरत और प्रसिद्ध मूर्ति है जो ब्रॉन्ज से बनी है और लगभग 2500 ईसा पूर्व की है। इस मूर्ति को मोहनजोदड़ो में ब्रिटिश पुरातत्विक (archaeological) अर्नेस्ट मैके ने 1926 में खुदाई के दौरान पाया था। इस मूर्ति का नाम डांसिंग गर्ल इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी मुद्रा एक नाचने वाली लड़की की तरह लगती है। इसके हाथ पर बहुत सारे चूड़ियां और गले में एक हार है। इसकी आँखें बड़ी, बाल घुंघराले और नाक छोटी है। इसकी लंबाई 10.5 सेंटीमीटर, चौड़ाई 5 सेंटीमीटर और गहराई 2.5 सेंटीमीटर है। इस मूर्ति को अभी नेशनल म्यूजियम, नई दिल्ली में रखा गया है।इस मूर्ति का कलात्मक महत्व बहुत बड़ा है। इससे हमें इंडस घाटी सभ्यता के शिल्पकारों की कुशलता का पता चलता है। इस मूर्ति को 'लॉस्ट वैक्स' विधि से बनाया गया था, जिसमें मोम के मॉडल को मिट्टी से ढ़क कर ओवन में गर्म किया जाता है और मोम घुल कर बाहर निकल जाता है। फिर मिट्टी के छिल्ले को तोड़ कर अंदर का ब्रॉंज़ का आकृति निकाला जाता है और उसे साफ़ किया जाता है। इस मूर्ति ने पुरातत्विकों को हैरान कर दिया था क्योंकि इसकी सुंदरता और प्राकृतिकता उन्हें आधुनिक कला से याद दिलाती थी। कुछ लोग इस मूर्ति को एक नाचने वाली लड़की के बजाए एक बाली या प्रसाद ले जाने वाली लड़की भी मानते हैं। एक नई शोध पेपर में दावा किया गया है कि डांसिंग गर्ल मूर्ति देवी पार्वती है और इससे यह साबित होता है कि इंदुस घाटी सभ्यता के लोग भगवान शिव की पूजा करते थे। यह पेपर इतिहास, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। पाकिस्तान ने 2016 में भारत से ‘Dancing Girl’ मूर्ति को मांगने की मांग की थी, कहते हुए कि यह मोहनजोदड़ो में पाया गया था, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है। परंतु, 1947 में पार्टीशन के समय, मूर्ति को भारत को सौंपा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते 2023 के International Museum Expo की शुरुआत की, जिसमें दुनिया के कई म्यूजियम की चीजें दिखाई जाएंगी। उन्होंने प्रदर्शनी का ‘मास्कोट’ भी बताया, जो ‘Dancing Girl’ मूर्ति की नकल है। मास्कोट का मतलब है कि वह प्रदर्शनी का प्रतीक है। मास्कोट ‘Dancing Girl’ मूर्ति से प्रेरित है, जो Indus Valley Civilisation की है। Indus Valley Civilisation का मतलब है कि वह पुरानी सभ्यता है, जो 2500 BCE से पहले हुई थी। मास्कोट Channapatna Style में है, जो कि Karnataka के Channapatna शहर की एक प्रकार की कला है, जिसमें Wooden Toys (लकड़ी के खिलौने)  बनाए जाते हैं। मास्कोट Shailised and Contemporarised Life-Size Version है, जिसका मतलब है कि वह ‘Dancing Girl’ मूर्ति से सुंदर और समकालीन (Modern)  है, और 5-Feet लंबा खिलौना है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan
  • अमेरिका की बांग्लादेश वीजा नीति: क्या भारत को चिंता होनी चाहिए?अमेरिका की बांग्लादेश वीजा नीति: क्या भारत को चिंता होनी चाहिए?

    अमेरिका की बांग्लादेश वीजा नीति: क्या भारत को चिंता होनी चाहिए?

    वीसा नीति 24 मई को अमेरिका के राज्य सचिव एंटोनी ब्लिंकेन ने घोषित की है। इसके तहत, अमेरिका को बांग्लादेश में लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार या सहायक किसी भी व्यक्ति को, उनके परिवार सहित, वीजा प्रदान करने से मना कर सकता है। अगर कोई बांग्लादेशी नेता या अधिकारी चुनावों में धांधली करता है, या विपक्ष के सदस्यों को प्रताड़ित करता है, तो उसे और उसके परिवार को अमेरिका में वीजा मिलने से मना कर सकते हैं।इससे उनके अमेरिका में पर्मानेंट रहने, काम करने, पर्यटन, व्यापार या मेडिकल के लिए जाने पर प्रतिबंध लग सकता है।इस नीति का मकसद "बांग्लादेश के मुक्त, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण राष्ट्रीय चुनावों" का समर्थन करना है।बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का लोकतंत्र के मूल्यों को लेकर रवैया अधिकारवादी और कट्टर रहा है।उन्होंने 2011 में केयरटेकर सरकार की व्यवस्था को समाप्त कर दिया, जो चुनावों को निष्पक्ष और सम्मिलित बनाने के लिए जरूरी थी।उन्होंने 2014 और 2018 में हुए चुनावों में मतदान की धांधली, विपक्ष पर हमला, मीडिया पर प्रतिबंध और न्यायपालिका पर हस्तक्षेप के मामले सामने आए हैं।उन्होंने इस्लामिक पार्टियों को प्रतिबंधित करके, 1971 में पाकिस्तान सेना के साथ मिलकर काम करने वाले कई लोगों को मौत या कैद की सजा सुनाई है।2021 में, शेख हसीना सरकार ने डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत मीडिया, सामाजिक संचार और स्वतंत्रता के अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाए।2020 में, शेख हसीना सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान विपक्षी नेताओं, समाजसेवीसंगठनों, पत्रकारों और मनुष्याधिकार कार्यकर्ताओं पर हमला, गिरफ्तारी, प्रताड़ना और हत्या के मामले सामने आए।अमेरिका ने यह वीजा नीति सिर्फ बांग्लादेश के संदर्भ में नहीं लागू की है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी इसी प्रकार की कुछ वीजा नीतियां हैं।उदाहरण के लिए, 2021 में, अमेरिका ने नाइजीरिया, अफगानिस्तान और हैती के संदर्भ में भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार या सहायक किसी भी व्यक्ति को, उनके परिवार सहित, वीजा प्रदान करने से मना करने की नीति का प्रकाशन किया है।बांग्लादेश की सरकार इस वीजा नीति से खुश नहीं है।शेख हसीना सरकार ने इस नीति के प्रकाशन को “दूसरों के मामलों में हाथ डालना” कहा है।उन्होंने कहा, “हम अपने चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करते हैं, लेकिन हमें लगता है कि चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता की जरूरत नहीं है।”भारत का इस विषय पर कोई आधिकारिक नजरिया नहीं है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत को इस नीति से चिंतित होना चाहिए।कुछ कारण हैं:• शेख हसीना सरकार भारत की स्थिर मित्र है, और भारत को उनके सत्ता में बने रहने की इच्छा है।• अमेरिका की यह नीति हासिना सरकार को कमजोर कर सकती है, और उनके प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को मजबूत कर सकती है, जो भारत के साथ सहयोगी नहीं हैं।• अमेरिका की यह नीति हसीना की सरकार को चीन की ओर झुकने के लिए मजबूर कर सकती है, जो भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए हानिकारक और खतरनाक हो सकता है।

    Raja Ranjan
    Raja Ranjan