वीसा नीति 24 मई को अमेरिका के राज्य सचिव एंटोनी ब्लिंकेन ने घोषित की है। इसके तहत, अमेरिका को बांग्लादेश में लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार या सहायक किसी भी व्यक्ति को, उनके परिवार सहित, वीजा प्रदान करने से मना कर सकता है। अगर कोई बांग्लादेशी नेता या अधिकारी चुनावों में धांधली करता है, या विपक्ष के सदस्यों को प्रताड़ित करता है, तो उसे और उसके परिवार को अमेरिका में वीजा मिलने से मना कर सकते हैं।
इससे उनके अमेरिका में पर्मानेंट रहने, काम करने, पर्यटन, व्यापार या मेडिकल के लिए जाने पर प्रतिबंध लग सकता है।
इस नीति का मकसद "बांग्लादेश के मुक्त, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण राष्ट्रीय चुनावों" का समर्थन करना है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का लोकतंत्र के मूल्यों को लेकर रवैया अधिकारवादी और कट्टर रहा है।
उन्होंने 2011 में केयरटेकर सरकार की व्यवस्था को समाप्त कर दिया, जो चुनावों को निष्पक्ष और सम्मिलित बनाने के लिए जरूरी थी।
उन्होंने 2014 और 2018 में हुए चुनावों में मतदान की धांधली, विपक्ष पर हमला, मीडिया पर प्रतिबंध और न्यायपालिका पर हस्तक्षेप के मामले सामने आए हैं।
उन्होंने इस्लामिक पार्टियों को प्रतिबंधित करके, 1971 में पाकिस्तान सेना के साथ मिलकर काम करने वाले कई लोगों को मौत या कैद की सजा सुनाई है।
2021 में, शेख हसीना सरकार ने डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत मीडिया, सामाजिक संचार और स्वतंत्रता के अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाए।
2020 में, शेख हसीना सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान विपक्षी नेताओं, समाजसेवीसंगठनों, पत्रकारों और मनुष्याधिकार कार्यकर्ताओं पर
हमला, गिरफ्तारी, प्रताड़ना और हत्या के मामले सामने आए।
अमेरिका ने यह वीजा नीति सिर्फ बांग्लादेश के संदर्भ में नहीं लागू की है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी इसी प्रकार की कुछ वीजा नीतियां हैं।
उदाहरण के लिए, 2021 में, अमेरिका ने नाइजीरिया, अफगानिस्तान और हैती के संदर्भ में भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार या सहायक किसी भी व्यक्ति को, उनके परिवार सहित, वीजा प्रदान करने से मना करने की नीति का प्रकाशन किया है।
बांग्लादेश की सरकार इस वीजा नीति से खुश नहीं है।
शेख हसीना सरकार ने इस नीति के प्रकाशन को “दूसरों के मामलों में हाथ डालना” कहा है।
उन्होंने कहा, “हम अपने चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करते हैं, लेकिन हमें लगता है कि चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता की जरूरत नहीं है।”
भारत का इस विषय पर कोई आधिकारिक नजरिया नहीं है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत को इस नीति से चिंतित होना चाहिए।
कुछ कारण हैं:
• शेख हसीना सरकार भारत की स्थिर मित्र है, और भारत को उनके सत्ता में बने रहने की इच्छा है।
• अमेरिका की यह नीति हासिना सरकार को कमजोर कर सकती है, और उनके प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को मजबूत कर सकती है, जो भारत के साथ सहयोगी नहीं हैं।
• अमेरिका की यह नीति हसीना की सरकार को चीन की ओर झुकने के लिए मजबूर कर सकती है, जो भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए हानिकारक और खतरनाक हो सकता है।
परमाणु की मृदा से स्क्विरल को कोई हानि होती है? - परमाणु की मृदा: स्क्विरल के लिए वरदान या अभिशाप?
अर्कटिक गर्म हो रहा है और इसके कारण अर्कटिक ग्राउंड स्क्विरल का हाइबरनेशन प्रक्रिया में बदलाव आ रहा है। ये स्क्विरल हाइबरनेशन के दौरान अपने शरीर को जमने से बचाने के लिए अपनी मोटापे से गर्मी पैदा करते हैं। परंतु, परमाणु की मृदा में जमने में देरी होने से, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। साथ ही, पिछले 25 सालों में, महिला स्क्विरल हाइबरनेशन समाप्त करके पहले निकलती हैं, पुरुष स्क्विरल की तुलना में। यह इसलिए होता है क्योंकि महिला स्क्विरल को अपने बच्चों का ख्याल रखना होता है, जबकि पुरुष स्क्विरल को नहीं। इससे महिला स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान कम मोटापा खर्च करना पड़ता है, और वे जल्दी ही भोजन की तलाश में निकलती हैं। यह प्रक्रिया में बदलाव, पर्यावरण के साथ-साथ, स्क्विरल के प्रजनन, सेहत, और प्रतिस्पर्धी क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है। हाइबरनेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ प्राणियों का शरीर और मन गहरी नींद में चला जाता है। हाइबरनेशन में प्राणियों का शरीर तापमान, सांस, और हृदय गति कम हो जाती है। हाइबरनेशन से प्राणियों को सर्दी से बचाव मिलता है, और उन्हें खाने की कमी के मौसम में भोजन की कम आवश्यकता होती है। हाइबरनेशन मुख्यत: सर्दी के महीनों में होता है। हाइबरनेशन के लिए प्राणियों को पहले से ही पर्याप्त ऊर्जा संचित करना पड़ता है, जो उनके निष्क्रिय अवधि के दौरान काम आती है। कुछ प्राणियों को हाइबरनेशन के दौरान अपने बच्चों को जन्म देना होता है, जो वे हाइबरनेशन के बाद या उससे पहले करते हैं। यह इस तरह समझाया जा सकता है कि जब परमाणु की मृदा जल्दी जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए अपने मोटापे से गर्मी पैदा करना पड़ता है। लेकिन, जब परमाणु की मृदा देर से जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। उदाहरण के लिए, मानिए कि स्क्विरल को हाइबरनेशन में 1000 कैलोरी की ज़रुरत है। अगर परमाणु की मृदा 10 सितंबर को ही जम जाए, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। लेकिन, अगर परमाणु की मृदा 20 सितंबर को जमे, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से 20 सितंबर तक केवल 500 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा, और 20 सितंबर के बाद ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। इससे स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान अपने मोटापे को अधिक समय तक बचा सकता है, और वह जल्दी ही भोजन की तलाश में नहीं निकलना पड़ता है। परमाणु की मृदा वह मृदा है जिसमें परमाणु अथवा अणु विखंडन होता है। परमाणु अथवा अणु विखंडन से उत्पन्न ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। परमाणु की मृदा को अंग्रेजी में परमाणु की मृदा (nuclear soil) कहते हैं। परमाणु की मृदा में परमाणु विखंडन के कारण, उसका तापमान बहुत ऊंचा होता है। इसलिए, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान परमाणु की मृदा से गर्मी मिलती है, और उन्हें अपने मोटापे से ज़्यादा गर्मी पैदा करने की ज़रुरत नहीं होती है। परमाणु की मृदा का उदाहरण है परमाणु भट्टी, जिसमें भारी धातु (पारा, प्लुटेनियम आदि) के टुकड़े रख देने के बाद, वे रेडियो सक्रिय हो जाते हैं, और परमाणु विखंडन होता है। परमाणु भट्टी से परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जो कि विद्युत, गर्मी, और अन्य कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है।
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