भारत में दो पहिया वाहनों की बिक्री में उतार-चढ़ाव: GST, पर्यावरण और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रभाव

वित्तीय वर्ष 2022 में, भारत में दो पहिया विक्रेता की संख्या पिछले सालों की तुलना में 13.47 मिलियन यूनिट्स से कम हो गई। 2019 में, भारत की ऑटो उद्योग ने करीब 21 मिलियन यूनिट्स बेचे थे, जो 2011 की संख्या 11.77 मिलियन से लगभग दोगुना है।
2022-23 में, दो पहिया उद्योग में लगातार तीन सालों के पतन के बाद साल-दर-साल दो अंकों की वृद्धि हुई। इसने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 15.86 मिलियन यूनिट्स का उत्पादन किया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 13.57 मिलियन से 17% अधिक है।
हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी 9 साल का सबसे कम स्तर है, जबकि 2014-15 में यह 16 मिलियन यूनिट्स पर था।
विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुनरुत्थान के संकेत अभी तक नहीं मिले हैं और इसने किसी भी प्रकार की मोटर-वाहन मांग में वृद्धि को प्रेरित नहीं किया है।
इस बुरे प्रदर्शन के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
• कोविड-19 की वजह से आर्थिक मंदी, सीमित मोबिलिटी और उच्च वाहन और ईंधन लागत।
• ग्रामीण मांग में कमी, जिसका प्रभाव प्राथमिकता वाले 125cc से कम क्षमता वाले मॉडलों पर पड़ा।
• प्रवेश स्तर के खंडों में पिछले तीन सालों में 50% की कीमतों में बढ़ोतरी, जिससे उद्योग के भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
• इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में बढ़ोतरी, जो पारंपरिक दो पहिया वालों के लिए प्रमुख बाजार हैं।
• सेमीकंडक्टर की कमी और उच्च कंटेनर शुल्क, जिससे OEMs के उत्पादन स्तर पर प्रभाव पड़ा।
भारत में स्कूटर और मोटरसाइकिल की बिक्री में कई उतार-चढ़ाव हुए हैं।
2021-22 में, स्कूटर की बिक्री में 72.50% की वृद्धि हुई, जबकि मोटरसाइकिल की बिक्री में 27.07% की वृद्धि हुई।
हालांकि, 2022-23 में, मोटरसाइकिल की बिक्री में 17% की वृद्धि हुई, जबकि स्कूटर की बिक्री में 108.14% की वृद्धि हुई।
मोटरसाइकिल की बिक्री स्कूटर की बिक्री से अधिक हुई है, क्योंकि मोटरसाइकिल 69% का बाजार हिस्सा रखते हैं, जबकि स्कूटर 31% का।
इसके पीछे कुछ कारण हैं, जैसे कि:
• मोटरसाइकिल ग्रामीण बाजारों और टियर-II और टियर-III शहरों में अधिक मांग का सामना करते हैं, जहां सड़कों की स्थिति बेहतर नहीं होती है।
• मोटरसाइकिल की कीमतें स्कूटर की कीमतों से कम होती हैं, जिससे उन्हें बजट-सचेत ग्राहकों के लिए प्राथमिकता मिलती है।
• मोटरसाइकिल का ईंधन प्रभावकारिता स्कूटर से बेहतर होता है, जिससे उन्हें उच्च ईंधन कीमतों का प्रभाव कम पड़ता है।
दो पहिया वाहनों पर GST की कटौती से उनकी कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे उन्हें अधिक सस्ते और सुलभ बनाया जा सकता है।
इससे दो पहिया वाहनों की मांग में वृद्धि हो सकती है, जिससे उद्योग को प्रोत्साहन मिल सकता है।
हालांकि, GST की कमी से सरकार को कर आय में कमी हो सकती है, जिससे अन्य क्षेत्रों में निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।
GST की कमी से पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि अधिक दो पहिया वाहनों का मतलब है अधिक प्रदूषण और ईंधन की खपत।
इसलिए, GST की कमी का प्रभाव अलग-अलग पहलुओं पर निर्भर करेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों का दो पहिया वाहनों की बिक्री पर प्रभाव अभी तक सीमित है, लेकिन भविष्य में यह बढ़ सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में 2022-23 में 28% की वृद्धि हुई, जिसमें से 65% का हिस्सा इलेक्ट्रिक दो पहिया वालों का था।
2023 में, इलेक्ट्रिक दो पहिया वालों की बिक्री 8.46 लाख यूनिट्स हुई, जो पिछले साल के 3.27 लाख से 2.5 गुना अधिक है।
2030 तक, इलेक्ट्रिक 2W मार्केट कुल 2W मार्केट का 80% से अधिक होने की संभावना है, और 22 मिलियन यूनिट्स की मात्रा पहुंच सकती है।
इलेक्ट्रिक वाहनों का दो पहिया वाहनों की बिक्री पर प्रभाव इसलिए हो सकता है, क्योंकि:
• इलेक्ट्रिक वाहनों का चालन सस्ता होता है, जिससे उन्हें पर्यावरण-सचेत और बजट-सचेत ग्राहकों के लिए प्राथमिकता मिलती है।
• इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रदूषण कम होता है, जिससे उन्हें सरकारी समर्थन, सब्सिडी और प्रोत्साहन मिलते हैं।
• इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रौद्योगिकी में सुधार हुए हैं, जिससे उनकी प्रदर्शन, सुरक्षा, सुविधा और आकर्षण में सुधार हुआ है।

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