ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड इम्प्लांट के माध्यम से परालाइज हुए व्यक्ति को चलने की क्षमता मिल सकती है: एक आर्टिफिशियल कम्युनिकेशन लिंक की खोज

परालाइज होने का मतलब यह है कि मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बीच का संपर्क टूट जाता है, जिससे पैरों को मस्तिष्क के हुकुम मिलना बंद हो जाता है।
लेकिन brain implant और spinal cord implant के माध्यम से, इस संपर्क को पुनर्स्थापित किया जा सकता है, जिससे पैरों को मस्तिष्क के संकेत मिलते हैं, और पैरों की मांसपेशियों को electrical pulses मिलते हैं, जो पैरों को हलन-चलन करने में मदद करते हैं।
इस प्रकार, परालाइज हुए आदमी को brain implant और spinal cord implant की सहायता से चलने की क्षमता मिल सकती है, जो कि एक प्रकार का artificial communication link है, जो natural communication link की कमी को पूरा करता है।
brain implant और spinal cord implant दोनों ही साथ-साथ सक्रिय होते हैं, लेकिन brain implant को पहले लगाया जाता है, क्योंकि वह मस्तिष्क के संकेतों को पकड़ता है, और उन्हें spinal cord implant को भेजता है।
brain implant को मस्तिष्क के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है, जहां मस्तिष्क हलन-चलन को नियंत्रित करता है। spinal cord implant को रीढ़ की हड्डी के नीचे वाले हिस्से में लगाया जाता है, जहां पैरों की मांसपेशियों के साथ संपर्क होता है।
brain implant और spinal cord implant के माध्यम से, मस्तिष्क और पैरों के बीच में एक wireless connection बनता है, जो परालाइज हुए हिस्से को bypass करता है।
आप कह सकते हैं कि यह एक प्रकार का artificial intelligence ही है, क्योंकि इसमें artificial neural networks का उपयोग किया जाता है, जो मस्तिष्क के संकेतों को पढ़ते हैं, और उन्हें spinal cord implant को भेजते हैं।
artificial neural networks वे मैथमेटिकल मॉडल्स हैं, जो मस्तिष्क की तरह ही सीखते हैं, और पैटर्न्स को पहचानते हैं। इनकी मदद से, brain implant और spinal cord implant को समन्वयित किया जाता है, और परालाइज हुए व्यक्ति को प्राकृतिक रूप से चलने में मदद मिलती है।

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