कुनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते को लेकर हाल ही में जर्मनी के तीन वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से 12 और नामीबिया से 8 चीते पिछले साल सितंबर 2022 और इस साल फरवरी 2023 में परिवेशित किए गए हैं।
लाइबनिज प्राणि और वन्यजीव अनुसंधान संस्थान के बर्लिन, जर्मनी के तीन वैज्ञानिकों ने इस परिवेशन योजना में कुछ गंभीर कमियां बताई हैं। उन्होंने Conservation Science and Practice पत्रिका में एक लेख में लिखा है कि चीते को 750 वर्ग किमी के बाड़ाहीन क्षेत्र में परिवेशित किया गया है, जो गांवों से घिरा हुआ है, जहां पशुपालक हैं।
उन्होंने कहा है कि चीते का सामाजिक-स्थानिक संगठन ऐसा है कि पुरुष चीते क्षेत्र में 20-23 किमी की दूरी पर रहते हैं, और महिला चीते और मंडली वाले पुरुष चीते क्षेत्रों के बीच के बड़े क्षेत्रों में रहते हैं।
उन्होंने पूर्वानुमान लगाया है कि नामीबिया से आए तीन पुरुष चीते कुनो में तीन क्षेत्र बनाएंगे, जो 20-23 किमी की दूरी पर होंगे। इसका मतलब है कि दक्षिण अफ्रीका से आए सात पुरुष चीते कुनो के बाहर बसने को मजबूर होंगे।
उन्होंने कहा है कि यह परिवेशन योजना सर्वोत्तम विज्ञान पर आधारित नहीं है, और इससे चीता संरक्षण का लाभ नहीं होगा।
जर्मनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि चीते को एक छोटे से जंगल में रखना उचित नहीं है, क्योंकि वे बहुत बड़े क्षेत्र में घूमना पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा है कि पुरुष चीते अपना अलग-अलग इलाका बनाते हैं, और उनके बीच में कम से कम 20-23 किमी की दूरी होती है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि A, B और C नामीबिया से आए तीन पुरुष चीते हैं, और D, E, F और G दक्षिण अफ्रीका से आए सात पुरुष चीते हैं।
A, B और C कुनो में तीन क्षेत्र (X, Y, Z) बनाएंगे, जो 20-23 किमी की दूरी पर होंगे।
D, E, F और G को कुनो के बाहर जाना होगा, क्योंकि कुनो में उनके लिए क्षेत्र की जगह नहीं है।
यह चीते के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि वे गांवों, सड़कों, और अन्य शिकारियों से टकरा सकते हैं।
परमाणु की मृदा से स्क्विरल को कोई हानि होती है? - परमाणु की मृदा: स्क्विरल के लिए वरदान या अभिशाप?
अर्कटिक गर्म हो रहा है और इसके कारण अर्कटिक ग्राउंड स्क्विरल का हाइबरनेशन प्रक्रिया में बदलाव आ रहा है। ये स्क्विरल हाइबरनेशन के दौरान अपने शरीर को जमने से बचाने के लिए अपनी मोटापे से गर्मी पैदा करते हैं। परंतु, परमाणु की मृदा में जमने में देरी होने से, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। साथ ही, पिछले 25 सालों में, महिला स्क्विरल हाइबरनेशन समाप्त करके पहले निकलती हैं, पुरुष स्क्विरल की तुलना में। यह इसलिए होता है क्योंकि महिला स्क्विरल को अपने बच्चों का ख्याल रखना होता है, जबकि पुरुष स्क्विरल को नहीं। इससे महिला स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान कम मोटापा खर्च करना पड़ता है, और वे जल्दी ही भोजन की तलाश में निकलती हैं। यह प्रक्रिया में बदलाव, पर्यावरण के साथ-साथ, स्क्विरल के प्रजनन, सेहत, और प्रतिस्पर्धी क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है। हाइबरनेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ प्राणियों का शरीर और मन गहरी नींद में चला जाता है। हाइबरनेशन में प्राणियों का शरीर तापमान, सांस, और हृदय गति कम हो जाती है। हाइबरनेशन से प्राणियों को सर्दी से बचाव मिलता है, और उन्हें खाने की कमी के मौसम में भोजन की कम आवश्यकता होती है। हाइबरनेशन मुख्यत: सर्दी के महीनों में होता है। हाइबरनेशन के लिए प्राणियों को पहले से ही पर्याप्त ऊर्जा संचित करना पड़ता है, जो उनके निष्क्रिय अवधि के दौरान काम आती है। कुछ प्राणियों को हाइबरनेशन के दौरान अपने बच्चों को जन्म देना होता है, जो वे हाइबरनेशन के बाद या उससे पहले करते हैं। यह इस तरह समझाया जा सकता है कि जब परमाणु की मृदा जल्दी जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए अपने मोटापे से गर्मी पैदा करना पड़ता है। लेकिन, जब परमाणु की मृदा देर से जमती है, तो स्क्विरल को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए गर्मी पैदा करने में भी देरी होती है। उदाहरण के लिए, मानिए कि स्क्विरल को हाइबरनेशन में 1000 कैलोरी की ज़रुरत है। अगर परमाणु की मृदा 10 सितंबर को ही जम जाए, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। लेकिन, अगर परमाणु की मृदा 20 सितंबर को जमे, तो स्क्विरल को 10 सितंबर से 20 सितंबर तक केवल 500 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा, और 20 सितंबर के बाद ही 1000 कैलोरी प्रति-दिन ख़र्च करना पड़ेगा। इससे स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान अपने मोटापे को अधिक समय तक बचा सकता है, और वह जल्दी ही भोजन की तलाश में नहीं निकलना पड़ता है। परमाणु की मृदा वह मृदा है जिसमें परमाणु अथवा अणु विखंडन होता है। परमाणु अथवा अणु विखंडन से उत्पन्न ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। परमाणु की मृदा को अंग्रेजी में परमाणु की मृदा (nuclear soil) कहते हैं। परमाणु की मृदा में परमाणु विखंडन के कारण, उसका तापमान बहुत ऊंचा होता है। इसलिए, स्क्विरल को हाइबरनेशन के दौरान परमाणु की मृदा से गर्मी मिलती है, और उन्हें अपने मोटापे से ज़्यादा गर्मी पैदा करने की ज़रुरत नहीं होती है। परमाणु की मृदा का उदाहरण है परमाणु भट्टी, जिसमें भारी धातु (पारा, प्लुटेनियम आदि) के टुकड़े रख देने के बाद, वे रेडियो सक्रिय हो जाते हैं, और परमाणु विखंडन होता है। परमाणु भट्टी से परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जो कि विद्युत, गर्मी, और अन्य कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है।
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